भारतीय संविधान, भारतीय लोकतंत्र को संचालित करने वाला सबसे बड़ा लोकतंत्र का धर्मग्रंथ है। आईए जानते हैं अपने संविधान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें –
भारतीय संविधान की प्रस्तावना : भारतीय संविधान की प्रस्तावना 'हम भारत के लोग' इस वाक्य से प्रारम्भ होती है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित होते हुए भी विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। प्रस्तावना के माध्यम से भारतीय संविधान का सार, अक्षाएं, उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है
भारतीय संविधान सबसे बड़ा संविधान : विश्व में भारत का संविधान सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 470 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं। साथ ही इसमें पांच परिशिष्ठ भी जोड़ दिए गए हैं, जो कि प्रारंभ में नहीं थे।
भारत राज्यों का संघ : भारत राज्यों का एक संघ है। यह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न समाज वादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है, जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
संविधान का मसौदा : 29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समितिकी स्थापना हुई, जिसमें अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई। इसीलिए डॉ. अंबेडकर को संविधान निर्माता भी कहा जाता है।
संविधान सभा के सदस्य : संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिनमें 45 महिलाएं भी शामिल थीं। इसके पश्चात 26 जनवरी को भारत का संविधान अस्तित्व में आया। इसे पारित करने में 2 वर्ष, 11 महीने और 8 दिन का समय लगा।
संविधान
की विशेषता : भारत के संविधान की पहली विशेषता यह है कि वह संघात्मक भी है और एकात्मक भी। भारत
के संविधान में संघात्मक संविधान की सभी उपर्युक्त विशेषताएं विद्यमान हैं।
दूसरी विशेषता यह है कि आपातकाल में भारतीय संविधान में एकात्मक संविधानों के अनुरूप केंद्र को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए प्रावधान निहित हैं।
तीसरी विशेषता यह है कि केवल एक नागरिकता का ही समावेश किया गया है तथा एक ही संविधान केंद्र तथा राज्य दोनों ही सरकारों के कार्य संचालन के लिए व्यवस्थाएं प्रदान करता है। इसके अलावा संविधान में कुछ अच्छी चीजें विश्व के दूसरे संविधानों से भी संकलित की गई हैं।
संसदीय
स्वरूप : संविधान में सरकार के
संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्मक विशिष्टताओं
सहित संघीय हो। केन्द्रीय कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है।
भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्द्रीय संसद की परिषद में राष्ट्रपति तथा दो सदन है जिन्हें राज्यों की परिषद अर्थात राज्य सभा तथा लोगों का सदन अर्थात लोक सभा के नाम से जाना जाता है।
संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा, राष्ट्रपति सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्र परिषद में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है।
संविधान के प्रमुख तीन बिन्दु : भारत का संविधान तीन प्रमुख बिंदुओं पर आधारित है। पहला राजनीतिक सिद्धांत, जिसके अनुसार भारत एक लोकतांत्रिक देश होगा। यह सार्वभौम, धर्मनिरपेक्ष राज्य होगा।
दूसरा भारत की सरकारी संस्थाओं के मध्य किस प्रकार का संबंध होगा। वे एक दूसरे के साथ किस प्रकार कार्य करेंगे। सरकारी संस्थाओं के क्या अधिकार होंगे, कया कर्तव्य होंगे और किस प्रकार की प्रक्रिया संस्थाओं पर लागू होगी।
तीसरा, भारतीय नागरिकों को कौन कौन से मौलिक अधिकार प्राप्त होंगे तथा नागरिकों के क्या कर्तव्य होंगे। इसके अलावा राज्य के नीति निर्देशक तत्व क्या होंगे।
संविधान संशोधन : संविधान सभा के मतानुसार देश चहुंमुखी विकास लिए समय-समय पर उपयुक्त प्रावधानों की आवश्यकता पड़ सकती है, जिसके लिए संविधान संशोधन की तीन विभिन्न प्रक्रियाएं दी गई हैं। संविधान में पहला संशोधन 18 जून 1951 को किया गया था, जबकि अब तक संविधान में 105 संशोधन किए जा चुके हैं।
धर्मनिरपेक्षता
: समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष
शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना
में जोड़े गए। इससे पहले धर्मनिरपेक्ष के स्थान पर पंथनिरपेक्ष शब्द था। यह अपने
सभी नागरिकों को जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना सभी को बराबरी
का दर्जा और अवसर देता है।